Tuesday, November 15, 2011

चाल







हर एक कि अपनी एक चाल होती है|
किसीकी धीमी तो किसीकी तेज होती है|

दुसरोंकी चालोंसे खुद को ना तोल, मेरे दोस्त
अपने चाल का मजा ही कुछ और होता है|

पर चुनले ऐसा हमसफर
जिसकी चाल से तुम अपनी चाल आसानीसे मिला सको|

ऐसी दो चाले जब एक होकर चलेगी
जन्नत उसी राह पर इंतजार कर रही होगी|