Wednesday, June 12, 2013

बारीष को गाली

ऑफिस से देरी से निकला, नापसंद बारीष बरस रही थी
बारीष ने मुझे कर दिया पुरा गीला, मैने बारीष को दी गाली |
रस्ते पे सिर्फ बारीष ही थी, ना कोई बस थी, ना कोई ऑटो खाली ||

चलते चलते मैने देखी, एक मासुम खुबसुरत लडकी अकेली |
फिक्र मे लग रही थी, शायद वो भी दे रही थी बारीष को गाली ||

सोच मे पड गया मै, फस गयी है ये फसा रही है, मैने जाकर कर ली बात |
सचमुच फसी थी वो, मैने घर तक उसका दे दिया साथ ||

"शुक्रिया आपका" ऐसे मुस्कुराते वो बोली |
कुछ नही बस कलेजा चुरा ले गयी उसकी मुडती हुई कानोंकी बाली ||

अब तो बारीष मेरे दिल मे है, ना देता हु कभी बारीष को गाली |
क्योंकी कुछ ही दिन पहले उसकी बहन बन गयी मेरी साली ||